Radha Meera
Published on 2025-06-10

तू गाये मीरा तो साँसों मे राधा होनी चाहिए
प्रेम मे भक्ति और भक्ति अथाह होनी चाहिए
कपाट सदा सर्वदा ही खुले हैं मन-मंदिर के
बस तेरे ह्रदय मे एकमात्र श्रद्धा होनी चाहिए
तेरे चेहरे पर तेरे देव की आभा होनी चाहिए
तेरी छवि मे तेरे प्रेम की प्रभा होनी चाहिए
आतुर हों कभी तेरे देव भी तेरे दर्शन को
प्रेम हो तो प्रेम की पराकाष्ठा होनी चाहिए
"He returns to the door from which he first came out, although in his journey, he went from door to door." - Rumi
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